HomeBudgetकेन्‍द्रीय बजट 2020-21 : नई आयकर व्यवस्था में विशेष रूप से मध्यम वर्ग के करदाताओं को बड़ी राहत

केन्‍द्रीय बजट 2020-21 : नई आयकर व्यवस्था में विशेष रूप से मध्यम वर्ग के करदाताओं को बड़ी राहत

नई आयकर व्यवस्था में विशेष रूप से मध्यम वर्ग के करदाताओं को बड़ी राहत

नई कर व्यवस्था करदाताओं के लिए वैकल्पिक होगी

नई आयकर दरों के लिए प्रति वर्ष 40,000 करोड़ रुपये का अनुमानित राजस्व छोड़ना आवश्यक होगा

केन्‍द्रीय बजट में करदाताओँ को बड़ी राहत प्रदान करते हुए और आयकर कानून को सरल बनाने के लिए एक नई और सरल व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें उन व्यक्तिगत करदाताओं के लिए आयकर दरों को पर्याप्त रूप से कम किया जाएगा जो कटौतियों और छूटों को छोड़ने के लिए तैयार होंगे। वर्ष 2020-21 के लिए संसद में आज केन्द्रीय बजट पेश करते हुए वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा, “नई कर व्यवस्था करदाताओं के लिए वैकल्पिक होगी।” उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति जिसे आयकर कानून के अंतर्गत इस समय अधिक कटौतियां और छूट मिल रही हैं वह इनका लाभ उठा सकता है और पुरानी व्यवस्था के अनुसार कर का भुगतान जारी रख सकता है।

नई व्यक्तिगत आय कर व्यवस्था में निम्नलिखित कर ढांचे का प्रस्ताव रखा गया है :

कर योग्य आय का स्लैब (रुपये में) आय कर की वर्तमान दरें नई कर दरें
0-2.5 लाख छूट छूट
2.5-5 लाख 5 प्रतिशत 5 प्रतिशत
5-7.5 लाख 20 प्रतिशत 10 प्रतिशत
7.5-10 लाख 20 प्रतिशत 15 प्रतिशत
10-12.5 लाख 30 प्रतिशत 20 प्रतिशत
12.5-15 लाख 30 प्रतिशत 25 प्रतिशत
15 लाख से ऊपर 30 प्रतिशत 30 प्रतिशत

नई कर व्यवस्था में किसी करदाता द्वारा दायर छूटों और कटौतियों के आधार पर उसे पर्याप्त कर लाभ मिलेगा। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति एक वर्ष में 15 लाख रुपये अर्जित करता है और वह किसी कटौती का लाभ नहीं उठा रहा है तो उसे पुरानी व्यवस्था में 2,73,000 रुपये का भुगतान करना होता जबकि नई कर दर के अनुसार अब उसे 1,95,000 रुपये का भुगतान करना होगा। अतः नई कर व्यवस्था में उसका कर भार 78,000 रुपये कम हुआ है। वह नई व्यवस्था में तब भी लाभ में रहेगा भले ही वह पुरानी व्यवस्था के तहत आयकर कानून के अध्याय VI-क की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत 1.5 लाख रुपये की कटौती ले रहा हो।

नई कर व्यवस्था करदाताओं के लिए वैकल्पिक होगी। यदि कोई व्यक्ति अथवा हिन्दू अविभाजित परिवार जो वर्तमान में कानून के तहत और अधिक कटौतियां और छूटे ले रहा है, उनका लाभ उठाने का विकल्प दे सकता है और पुरानी व्यवस्था में कर का भुगतान करना जारी रख सकता है। वित्त विधेयक में किए गए प्रावधानों के अनुसार, विकल्प का इस्तेमाल प्रत्येक पिछले वर्ष के लिए किया जा सकता है, जहां किसी व्यक्ति अथवा हिन्दू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) की व्यवसाय से कोई आमदनी नहीं है और अन्य मामलों में यदि विकल्प का एक बार पिछले वर्ष के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है, तो वह पिछले वर्ष और उसके बाद के सभी वर्षों के लिए मान्य होगा। पिछले वर्ष अथवा पिछले वर्षों के लिए यह विकल्प अमान्य हो सकता है यदि व्यक्ति अथवा एचयूएफ लागू होने वाले कानून की शर्तों और अन्य प्रावधानों को पूरा करने में विफल रहता है।

नई आयकर दरों के लिए प्रतिवर्ष 40,000 करोड़ रुपये का अनुमानित राजस्व छोड़ना अवश्य होगा। श्रीमती सीतारमण ने कहा, “हमने ऐसे उपाय शुरु किए हैं जिससे आयकर रिटर्न को समयपूर्व भरा जा सके ताकि कोई भी व्यक्ति जो नई व्यवस्था को अपनाता है उसे अपना रिटर्न दायर करने और आयकर का भुगतान करने में किसी विशेषज्ञ की सहायता लेने की जरूरत नहीं होगी।” वित्त मंत्री ने कहा कि आयकर व्यवस्था को सरल बनाने के लिए, उन्होंने पिछले अनेक दशकों में आयकर कानूनों में शामिल की गई सभी छूटों और कटौतियों की समीक्षा की है।

बजट में, विभिन्न प्रकृति (100 से अधिक) की 100 से अधिक छूटें और कटौतियों प्रदान की गई है। सरलीकृत व्यवस्था में इनमें से लगभग 70 छूटों और कटौतियों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। शेष छूटों और कटौतियों की समीक्षा की जाएगी और आने वाले वर्षों में उन्हें युक्तिसंगत बनाया जाएगा ताकि कर व्यवस्था को और सरल बनाया जा सके तथा करों की दरें कम की जा सके।

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2 COMMENTS

  1. मैं समझाता हुँ कितना कर पुरानी व्यवस्था में देना पड़ता था और नई व्यवस्था में देना होगा। मान ले किसी की आय 15 लाख सलाना है। पुरानी व्यवस्था में कर गणना- 1.50 लाख बचत कटौती+50 हज़ार मानक, करयोग्य आय 13 लाख रुपये। टैक्स बनेगा, 0-2.50 लाख 0, 2.50-5लाख 12500 रुपये, 5-7.50 लाख 25000 रुपये, 7.50-10 लाख 37500 रुपये, 10-12.50 लाख 50000 रुपये, 12.50-13 लाख 15000 रुपये, कुल कर 140000 रुपये। हमने यहां गृह किराये और 50000 रुपये अतिरिक्त NPS पर छूट का लाभ नही लिया है। अब नए व्यवस्था में 15 लाख की आय पर कर गणना, 0-2.50 कर 0, 2.50-5 लाख, कर 12500 रुपये, 5-7.50 लाख, कर 25000 रुपये, 7.50-10 लाख, कर 37500 रुपये, 10-12.50 लाख, कर 50000 रुपये, 12.50-15 लाख, कर 62500 रुपये, यानी कुल कर देना होगा 187500 रुपये। यानी पुरानी व्यवस्था से नई व्यवस्था 37500 रुपये ज्यादा कर देना होगा। मुझे लगता है वित्त मंत्री और आपसभी विश्लेषक कुछ ज्यादा पढ़े-लिखे नज़र आ रहे हो, और करदाता मूर्ख। सीधे बोलने में की कोई कर छूट नही मिलेगी, सरकार को शर्म आती है, तो घूमा फिराकर करदाता को समझना चाहती है कि आपको 78000 का फायदा होगा। भाई जब करदाता रेटर्न भरेगा तो उसे पता चल ही जायेगा कि क्या फायदा होगा।

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